वट सावित्री व्रत 2024: महिलाओं का परंपरागत त्योहार

भारतीय संस्कृति में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। ये व्रत और त्योहार समाज को संगठित रखने के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी प्रदान करते हैं। इनमें से एक महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखने वाला त्योहार है “वट  सावित्री व्रत”। इस व्रत का पर्व 2024 में भी उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।

वट सावित्री व्रत का महत्व

“वट सावित्री व्रत” भारतीय महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण परंपरागत व्रत है। इसे सावित्री ब्राह्मणी के नाम पर मनाया जाता है, जिन्होंने अपने पति की आयु बढ़ाने के लिए भगवान साविता की तपस्या की थी। इसी तपस्या को याद करते हुए महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत का आयोजन करती हैं।

यह व्रत वैदिक संस्कृति में मान्यता प्राप्त है और हिन्दू परिवारों में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह व्रत स्त्रियों के पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए किया जाता है और इसे भारतीय महिलाओं की पतिव्रता और प्रेम की प्रतीक माना जाता है।

वट सावित्री व्रत की कथा

वट सावित्री व्रत की कथा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह कथा महाभारत के अनुसार है। एक बार सावित्री नामक धर्मपत्नी अपने पति सत्यवान के साथ गहरे अध्ययन के लिए वन में गई थीं। अविधिपूर्वक बढ़ती गर्मी ने सत्यवान को अध्ययन में बाधा डाल दिया था और वह भूखा-प्यासा मरने की स्थिति में पहुंच गए। इस संदर्भ में सावित्री ने यमराज से अपने पति की आयु के लिए व्रत रखने की प्रार्थना की और यमराज ने उन्हें तीन बार इस व्रत का आयोजन करने की अनुमति दी।

तीन सावित्रियों की कथा के अनुसार, वे तीन दिनों तक निराहार रहीं और तपस्या की। तीसरे दिन सावित्री ने यमराज से वरांडा पर आकर्षित होते हुए उन्हें बाँधा देखा। तब यमराज ने उनसे पूछा कि तुम्हें क्या चाहिए? उसके बाद सावित्री ने अपने पति की आयु के लिए प्रार्थना की। यमराज ने उसकी मांग स्वीकार की और उसके पति को जीवित कर दिया। इस तरह सावित्री ने अपने पति की आयु बढ़ाने में सफलता प्राप्त की।

वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत का आयोजन

वट सावित्री व्रत का आयोजन हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन किया जाता है। इस व्रत को महिलाएं सुबह उठकर नहाने के बाद आराम करते हुए करती हैं। व्रत के दिन वे सावित्री माँ का पूजन करती हैं और उनका व्रत खोलती हैं। इसके बाद वे अपने पति की प्राणायाम व्रत करती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री माँ का व्रत करने के लिए पवित्र जल, दीप, पुष्प, फल, नैवेद्य, अखंड दिया, गंगा जल, चन्दन, कुमकुम, गंगाजल, निर्जल व्रत आदि का पालन करती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत के दिन चन्द्रमा की पूजा करती हैं और चाँद की आराधना करती हैं।

वट  सावित्री व्रत के महत्वपूर्ण तिथियाँ 2024

  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ – जून 05, 2024 को 07:54 पी एम बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त – जून 06, 2024 को 06:07 पी एम बजे

 

पूजा- विधि

  • इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।
  • वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें।
  • इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें।
  • इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें।
  • लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें।
  • इस दिन व्रत कथा भी सुनें।
  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

वट सावित्रि पूजा सामग्री की लिस्ट

  • सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां
  • बांस का पंखा
  • लाल कलावा
  • धूप
  • दीप
  • घी
  • फल
  • पुष्प
  • रोली
  • सुहाग का सामान
  • पूडियां
  • बरगद का फल
  • जल से भरा कलश

वट सावित्री व्रत

समापन

वट सावित्री व्रत एक महत्वपूर्ण परंपरागत व्रत है जो महिलाओं के पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत महिलाओं के पतिव्रता और प्रेम की प्रतीक माना जाता है और इसे भारतीय समाज में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 2024 में भी इसे महिलाएं उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाएंगी और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करेंगी।

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